2020 में एकादशी उपवास के दिन
हिन्दु कैलेण्डर में हर ११वीं तिथि को एकादशी उपवास किया जाता है। एक माह में दो एकादशी व्रत होते हैं जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके भक्त एकादशी व्रत रखते हैं। 2020 में एकादशी उपवास के दिन कब कब है आइये हम जाने |
एकादशी उपवास तीन दिनों तक चलता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि अगले दिन पेट में भोजन का कोई अवशेष न रहे श्रद्धालु उपवास के एक दिन पहले केवल दोपहर में भोजन करते हैं। एकादशी के दिन श्रद्धालु कठोर उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उपवास समाप्त करते हैं। एकादशी उपवास के समय सभी तरह के अन्न का भोजन करना वर्जित होता है।श्रद्धालु अपनी मनोशक्ति और शरीर की सामर्थ के अनुसार पानी के बिना, केवल पानी के साथ, केवल फलों के साथ अथवा एक समय सात्विक भोजन के साथ उपवास को करते हैं। उपवास के समय किस तरह का भोजन खाना है यह निर्णय उपवास शुरू करने से पहले लिया जाता है।
२०२० |
2020 में एकादशी उपवास के दिन |
06 | जनवरी | (सोमवार) | पौष पुत्रदा एकादशी |
20 | जनवरी | (सोमवार) | षटतिला एकादशी |
05 | फरवरी | (बुधवार) | जया एकादशी |
19 | फरवरी | (बुधवार) | विजया एकादशी |
06 | मार्च | (शुक्रवार) | आमलकी एकादशी |
19 | मार्च | (बृहस्पतिवार) | पापमोचिनी एकादशी |
20 | मार्च | (शुक्रवार) | वैष्णव पापमोचिनी एकादशी |
04 | अप्रैल | (शनिवार) | कामदा एकादशी |
18 | अप्रैल | (शनिवार) | बरूथिनी एकादशी |
03 | मई | (रविवार) | मोहिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी व्रत कथा,मोहिनी एकादशी व्रत क्यो रहें,एकादशी व्रत का महात्म्य |
04 | मई | (सोमवार) | गौण मोहिनी एकादशी वैष्णव मोहिनी एकादशी |
18 | मई | (सोमवार) | अपरा एकादशी |
02 | जून | (मंगलवार) | निर्जला एकादशी निर्जला एकादशी व्रत कथा,निर्जला एकादशी व्रत का महात्म्य,विधि,नियम,क्या दान करें,क्यो रहे |
17 | जून | (बुधवार) | योगिनी एकादशी |
01 | जुलाई | (बुधवार) | देवशयनी एकादशी विष्णूशयनि एकादशी,परायण कब है |
16 | जुलाई | (बृहस्पतिवार) | कामिका एकादशी |
30 | जुलाई | (बृहस्पतिवार) | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
15 | अगस्त | (शनिवार) | अजा एकादशी व्रत |
29 | अगस्त | (शनिवार) | परिवर्तिनी एकादशी |
13 | सितम्बर | (रविवार) | इन्दिरा एकादशी |
27 | सितम्बर | (रविवार) | पद्मिनी एकादशी |
13 | अक्टूबर | (मंगलवार) | परम एकादशी |
27 | अक्टूबर | (मंगलवार) | पापांकुशा एकादशी |
11 | नवम्बर | (बुधवार) | रमा एकादशी |
25 | नवम्बर | (बुधवार) | देवुत्थान एकादशी |
26 | नवम्बर | (बृहस्पतिवार) | वैष्णव देवुत्थान एकादशी |
10 | दिसम्बर | (बृहस्पतिवार) | उत्पन्ना एकादशी |
11 | दिसम्बर | (शुक्रवार) | गौण उत्पन्ना एकादशी वैष्णव उत्पन्ना एकादशी |
25 |
दिसम्बर |
(शुक्रवार) |
मोक्षदा एकादशी |
कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्थ-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दुसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।
इस पृष्ठ के सभी एकादशी व्रतों के दिन स्मार्थों के लिए मान्य हैं। एकादशी व्रतों के दिन जो वैष्णव सम्प्रदाय के लिए मान्य है वैष्णव एकादशी उपवास पर सूचित किये गए हैं। साधारणतः वैष्णव एकादशी और स्मार्थ एकादशी का व्रत एक ही दिन होता है परन्तु साल में तीन-चार बार वैष्णव एकादशी का व्रत स्मार्थ एकादशी के एक दिन बाद होता है।